पी.जी. बॉन्ड रिक्तियों में अनियमितता को लेकर जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन ने उठाए सवाल

Healthbhaskar.com: रायपुर,21 अगस्त 2025 छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य सेवाओं में एक बार फिर पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो गए हैं। जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (JDA), छत्तीसगढ़ ने चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा हाल ही में जारी पी.जी. बॉन्ड रिक्त पदों की सूची में गंभीर अनियमितताओं का आरोप लगाया है। इस मुद्दे ने न केवल चिकित्सा जगत बल्कि आम जनता के बीच भी गहन चर्चा छेड़ दी है।
अनियमितताओं पर उठे सवाल
छत्तीसगढ़ डॉक्टर्स फेडरेशन CDF के अध्यक्ष डॉ. हीरा सिंह लोधी ने 14 अगस्त 2025 को जारी रिक्ति सूची पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसमें पूर्व में 2 जून 2025 को बताई गई रिक्तियों की तुलना में काफी कम पद दिखाए गए हैं। उन्होंने स्पष्ट आरोप लगाया कि ऐसा प्रतीत होता है कि विभाग ने कुछ पदों को जानबूझकर छिपा लिया है, ताकि बाद में मनमाने ढंग से उनका आवंटन किया जा सके। यह न केवल नियमों का उल्लंघन है बल्कि योग्य डॉक्टरों के साथ अन्याय भी है।
जूनियर डॉक्टर्स की नाराज़गी
डॉ रेशम सिंह अध्यक्ष JDA जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन छत्तीसगढ़ ने कहा कि युवा डॉक्टर वर्षों की मेहनत और त्याग के बाद एम.बी.बी.एस. तथा पी.जी. की पढ़ाई पूरी करते हैं और राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था में अपनी सेवाएँ देने के लिए तत्पर रहते हैं। लेकिन यदि बॉन्ड पोस्टिंग जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रिया में ही पारदर्शिता और निष्पक्षता नहीं होगी तो यह डॉक्टरों के मनोबल को गहरा आघात पहुँचाएगी। साथ ही, इस प्रकार की अनियमितताओं से राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा क्योंकि वास्तविक आवश्यकताओं के अनुसार पदों का समुचित वितरण नहीं हो पाएगा। जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (JDA) ने इस मामले को लेकर अपनी गहरी असहमति दर्ज कराई है। उनका कहना है कि पी.जी. बॉन्ड के तहत जिन चिकित्सकों ने अपनी सेवाएं दी हैं, उनके साथ पारदर्शिता के साथ न्याय होना चाहिए। यदि रिक्तियों की सही जानकारी ही उपलब्ध नहीं कराई जाएगी, तो चयन प्रक्रिया पर गंभीर संदेह उत्पन्न होगा।
एसोसिएशन ने तीन प्रमुख मांगें रखीं:
- सभी रिक्त पदों की पूरी और वास्तविक सूची तत्काल सार्वजनिक की जाए।
- भर्ती और पद आवंटन प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष हो।
- सभी चयन केवल योग्यता और नियमों के आधार पर सुनिश्चित किए जाएं।
स्वास्थ्य सेवाओं पर असर
विशेषज्ञों का मानना है कि पी.जी. बॉन्ड व्यवस्था का उद्देश्य प्रदेश के सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य संस्थानों को प्रशिक्षित चिकित्सकों की सेवाएं उपलब्ध कराना है। परंतु यदि रिक्तियों की गणना में ही हेरफेर होगी, तो न केवल डॉक्टरों का मनोबल टूटेगा बल्कि ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता भी प्रभावित होगी।
पारदर्शिता की मांग तेज
राज्य के कई वरिष्ठ चिकित्सकों और पूर्व स्वास्थ्य अधिकारियों ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि विभाग को तुरंत संज्ञान लेकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। जनता भी इस मामले को लेकर सजग है, क्योंकि अंततः पी.जी. बॉन्ड डॉक्टरों की तैनाती का असर सीधे-सीधे आम मरीजों की सेवा पर पड़ता है। पी.जी. बॉन्ड रिक्तियों में अनियमितता का यह विवाद केवल संख्याओं का खेल नहीं है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य सेवाओं की साख और पारदर्शिता का भी प्रश्न है।