यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों के भविष्य पर डीएमए की पहल – HMC अधिकारियों ने दिए भरोसे के संकेत

Healthbhaskar.com: चंडीगढ़, 21 सितम्बर 2025 विदेश से लौटे चिकित्सा छात्रों, विशेषकर यूक्रेन युद्ध से प्रभावित Foreign Medical Graduates (FMGs) के भविष्य को लेकर आशा की किरण जागी है। डेमोक्रेटिक मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) ने हाल ही में हरियाणा मेडिकल काउंसिल (HMC) के अधिकारियों से महत्वपूर्ण बैठक की, जिसमें छात्रों और डॉक्टरों से जुड़े गंभीर मुद्दों पर चर्चा हुई। डीएमए की राष्ट्रीय टीम ने इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अमित व्यास, राष्ट्रीय महासचिव डॉ. शुभ प्रताप सोलंकी, राष्ट्रीय संयुक्त सचिव डॉ. कमल सिंह और कोर सदस्य डॉ. दीपक ने किया। इन सभी ने मिलकर HMC रजिस्ट्रार डॉ. मनदीप सचदेवा और सुपरिटेंडेंट डॉ. अनिरुद्ध भारद्वाज से मुलाकात कर न केवल संगठन की भावी योजनाओं को साझा किया बल्कि यूक्रेन से लौटे FMGs की समस्याओं पर भी विस्तार से चर्चा की गयी।
यूक्रेन युद्ध और महामारी का असर
कोविड-19 महामारी और यूक्रेन युद्ध ने हजारों भारतीय मेडिकल छात्रों का भविष्य दांव पर लगा दिया। कई छात्रों को अपनी पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी, तो कुछ ने मजबूरी में ऑनलाइन माध्यम से MBBS की पढ़ाई पूरी की। इन परिस्थितियों ने न केवल उनकी शिक्षा की गुणवत्ता पर असर डाला बल्कि करियर को भी संकट में डाल दिया। FMGs का दर्द यही है कि उन्होंने छह साल की कठिन पढ़ाई और FMGE जैसी चुनौतीपूर्ण परीक्षा पास की, इसके बावजूद इंटर्नशिप के लंबे और जटिल नियम उनके करियर को 2-3 साल पीछे धकेल सकते हैं।
डीएमए टीम ने HMC अधिकारियों के समक्ष छात्रों की वास्तविक चुनौतियों को रखा।
- छात्रों और उनके परिवारों पर पड़ रहे आर्थिक बोझ
- लंबी इंटर्नशिप से बढ़ती मानसिक चिंता और तनाव
- करियर में हो रही अनावश्यक देरी
- डीएमए ने यह भी कहा कि सरकार को चाहिए कि इन छात्रों को राहत देने के लिए तुरंत ठोस नीति तैयार करे।
राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अमित व्यास ने कहा की डीएमए हमेशा से डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों की आवाज रहा है और रहेगा। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी युवा डॉक्टर का करियर संकट में न आए। FMGs की मेहनत और संघर्ष का सम्मान होना चाहिए।
HMC अधिकारियों का सकारात्मक रुख
हरियाणा मेडिकल काउंसिल की ओर से मिले संकेत छात्रों के लिए राहतभरे है। HMC अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि छात्रों के हितों की अनदेखी नहीं होगी और उनके भविष्य को सुरक्षित करने के लिए सही कदम उठाए जाएंगे। HMC रजिस्ट्रार डॉ. मनदीप सचदेवा और सुपरिटेंडेंट डॉ. अनिरुद्ध भारद्वाज ने डीएमए टीम को भरोसा दिलाया कि उनकी ओर से इस मामले को गंभीरता से देखा जाएगा।
भविष्य की रणनीति
डीएमए ने इस अवसर पर यह भी घोषणा की कि वह जल्द ही राज्य स्तर पर अपनी इकाइयाँ गठित करेगा, ताकि हर राज्य में डॉक्टरों की समस्याएँ सीधे सरकार तक पहुँच सकें। राष्ट्रीय महासचिव डॉ. शुभ प्रताप सोलंकी ने कहा की हमारा लक्ष्य है कि देशभर में डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों के मुद्दों पर प्रभावी संवाद स्थापित हो और उन्हें समय पर न्याय मिले।
छात्रों की उम्मीद
बैठक में मौजूद FMG प्रतिनिधि डॉक्टर्स में डॉ. शिवम शर्मा, डॉ. रंजन शर्मा, डॉ. सोनू, डॉ. नेहा कक्कड़ और डॉ. रामकुमार गर्ग ने डीएमए और HMC की इस पहल का स्वागत किया गया। उनका कहना था कि इस संवाद से उन्हें उम्मीद जगी है कि आने वाले समय में सरकार और काउंसिल उनके करियर को सुरक्षित करने के लिए ठोस कदम लिए जायेंगे।
डीएमए का संकल्प
डीएमए ने यह स्पष्ट किया कि उनका संगठन केवल समस्याएँ उठाने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि समाधान की दिशा में भी ठोस पहल करेगा। वरिष्ठ डॉक्टरों और छात्रों की साझा आवाज बनकर डीएमए आने वाले समय में नीतिगत बदलावों के लिए दबाव बनाएगा। यह बैठक केवल औपचारिकता नहीं थी, बल्कि एक ऐसा कदम थी जिसने यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों को नई आशा दी है। HMC अधिकारियों के सकारात्मक रुख और डीएमए की सक्रिय भूमिका से यह संभावना बढ़ गई है कि जल्द ही इन छात्रों के करियर संबंधी मुश्किलों का समाधान निकलेगा।