बिलासपुर जिले में एक बार फिर अंधविश्वास ने ली एक युवक की जान

हेल्थ भास्करछत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में एक बार फिर अंधविश्वास ने एक युवक की जान ले ली। आधुनिक विज्ञान और तकनीकी प्रगति के इस युग में भी समाज का एक बड़ा तबका अंधविश्वास और कुप्रथाओं की बेड़ियों में जकड़ा हुआ है। विज्ञान ने हमें चाँद और मंगल तक पहुँचाया, चिकित्सा क्षेत्र में चमत्कारी प्रगति की, लेकिन फिर भी हमारे समाज में ऐसी घटनाएँ देखने को मिलती हैं जो हमें सोचने पर मजबूर कर देती हैं।

विज्ञान जहां तर्क और प्रमाण पर आधारित होता है, वहीं अंधविश्वास अवैज्ञानिक धारणाओं और परंपराओं से प्रेरित होता है। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के मस्तूरी थाना क्षेत्र के देवगांव में हुई घटना इसका एक दुखद उदाहरण है। जहां भूत-प्रेत के शक में एक युवक को उसके परिजनों ने ही पीट-पीटकर मार डाला। बांस की छड़ी और कोर्रा से लगातार पिटाई के कारण युवक की मौके पर ही मौत हो गई।

विज्ञान और तर्क आधारित शिक्षा के अभाव में लोग अंधविश्वास पर आसानी से विश्वास कर लेते हैं एवं पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही परंपराएँ और अंधविश्वासी विचारधारा समाज में गहराई से जमी हुई हैं ,ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के कारण लोग झाड़-फूंक और तंत्र-मंत्र जैसे उपायों की ओर रुख करते हैं। कुछ लोग अनजाने डर और मानसिक तनाव के कारण भी तंत्र-मंत्र और झाड़-फूंक में विश्वास करने लगते हैं।

समाज को अंधविश्वास से मुक्त करने के लिए विज्ञान का प्रचार-प्रसार बेहद आवश्यक है, शिक्षा और जागरूकता स्कूलों और कॉलेजों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना चाहिए तथा ग्रामीण क्षेत्रों में आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए। अंधविश्वास के नाम पर हो रही हिंसा को रोकने के लिए कड़े कानून लागू करने चाहिए। जागरूकता फैलाने के लिए डिजिटल माध्यमों का अधिक उपयोग किया जाना चाहिए।

आज विज्ञान ने हमें हर क्षेत्र में तरक्की दिलाई है, लेकिन जब तक समाज में वैज्ञानिक सोच का विकास नहीं होगा, तब तक हम अंधविश्वास और कुप्रथाओं से पूरी तरह मुक्त नहीं हो सकते। छत्तीसगढ़ की यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हमें शिक्षा और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपनाकर ऐसे अंधविश्वासों को जड़ से खत्म करना होगा, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएँ दोबारा न हों।

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