हेल्थभास्कर: रायपुर, 25 जून 2025 ,छत्तीसगढ़ सरकार एक बार फिर मलेरिया जैसी घातक बीमारी के खिलाफ निर्णायक जंग के लिए मैदान में उतर चुकी है। आज से राज्य भर में “मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान” का 12वां चरण आरंभ हो गया है, जिसका मुख्य उद्देश्य मलेरिया प्रभावित और अति संवेदनशील क्षेत्रों में जांच, उपचार और जनजागरूकता को बढ़ावा देना है।
अभियान की शुरुआत बस्तर संभाग के सात जिलों में बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर, कांकेर और कोंडागांव के साथ-साथ गरियाबंद, खैरागढ़-छुईखदान-गंडई और कवर्धा जैसे चिन्हित जिलों से की जा रही है। इन क्षेत्रों को मलेरिया के दृष्टिकोण से सबसे अधिक संवेदनशील माना गया है।
71% तक कम हुए मलेरिया केस एक बड़ी उपलब्धि
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, अभियान के प्रथम चरण की तुलना में बस्तर संभाग की मलेरिया पॉजिटिविटी दर 4.6% से घटकर 0.46% हो गई है। वर्ष 2015 की तुलना में 2024 में मलेरिया मामलों में 71% की गिरावट दर्ज की गई है और API (वार्षिक परजीवी सूचकांक) भी 27.40 से घटकर 7.11 पर आ गया है।
अभियान के तहत 10 जिलों के 36 विकासखंडों में फैले 2527 गांवों और 659 उप-स्वास्थ्य केन्द्रों में कार्यरत 2235 सर्वे दलों को तैनात किया गया है। ये दल घर-घर जाकर लगभग 16 लाख 77 हजार लोगों की मलेरिया जांच करेंगे। जांच के दौरान यदि कोई व्यक्ति मलेरिया पॉजिटिव पाया जाता है, तो उसे तत्काल उपचार व फॉलोअप प्रदान किया जाएगा।
केवल जांच नहीं, रोकथाम और जनजागरूकता भी है लक्ष्य
मलेरिया मुक्त अभियान केवल उपचार तक सीमित नहीं है, बल्कि मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम और स्वच्छता जागरूकता इस योजना के महत्वपूर्ण अंग हैं। इसके तहत मच्छरों के प्रजनन स्थलों को नष्ट करना, जल जमाव रोकना, साफ-सफाई के लिए प्रेरित करना और एलएलआईएन (लॉन्ग लास्टिंग इंसेक्टिसाइडल नेट) के उपयोग को बढ़ावा देना शामिल है।
डॉ. प्रियंका शुक्ला ,आयुक्त सह संचालक के बयान अनुसार मलेरिया को जड़ से खत्म करना हमारी प्राथमिकता है। हम केवल इलाज पर नहीं, बल्कि रोकथाम और जागरूकता पर भी जोर दे रहे हैं। बस्तर जैसे अति संवेदनशील क्षेत्रों में मलेरिया मामलों में आई 71 प्रतिशत की गिरावट हमारे प्रयासों की सफलता को दर्शाती है की हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
राज्य सरकार का लक्ष्य वर्ष 2027 तक शून्य मलेरिया केस
स्वास्थ्य विभाग और राज्य सरकार का संयुक्त लक्ष्य वर्ष 2027 तक छत्तीसगढ़ को मलेरिया मुक्त बनाना है। यह अभियान केवल एक स्वास्थ्य कार्यक्रम नहीं, बल्कि जनभागीदारी पर आधारित एक आंदोलन बन चुका है, जिसमें हर नागरिक की भूमिका महत्वपूर्ण है। छत्तीसगढ़ अब मलेरिया के खिलाफ इस जंग को केवल दवाओं से नहीं, बल्कि समय पर जांच, रोकथाम और सामूहिक जागरूकता के दम पर जीतने की ओर बढ़ रहा है।