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13 साल के बच्चे के फेफड़े से निकाली पिन, AIIMS रायपुर ने दिखाई चिकित्सकीय कुशलता

हेल्थ भास्कर: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) रायपुर की एक बहुविशेषज्ञीय टीम ने 13 वर्षीय एक बच्चे के फेफड़े में गहराई तक फंसी एक नुकीली धातु की पिन को सफलतापूर्वक बाहर निकालकर एक संभावित जानलेवा स्थिति को समय पर पहचान और गंभीर परिस्थिती जान बचाकर नया कीर्तिमान रच दिया है।

30 जून 2025 को, 13 वर्षीय एक लड़का AIIMS रायपुर के ट्रॉमा और आपातकालीन विभाग में खांसी में खून आना (हेमोप्टाइसिस), लगातार बुखार और दो सप्ताह से अधिक समय से सीने में दर्द की शिकायत के साथ आया। जब उसका विस्तृत इतिहास लिया गया, तो उसने बताया कि वह एक पिन से खेल रहा था, जिसे खांसते समय उसने गलती से निगल (श्वास द्वारा अंदर ले) लिया था।
एक्स-रे जांच में यह पाया गया कि एक नुकीली धातु की पिन उसके बाएँ फेफड़े के निचले हिस्से के ब्रोंकस (श्वासनली की शाखा) में फंसी हुई है, साथ ही वहाँ पर निमोनिया के भी लक्षण दिखे। फेफड़े को और क्षति या रक्तस्राव से बचाने के लिए तत्काल हस्तक्षेप आवश्यक था।

मरीज को तुरंत ब्रोंकोस्कोपी (श्वासनली की एंडोस्कोपिक जांच) के लिए सिडेशन के तहत लिया गया। सुरक्षित एयरवे बनाए रखने के लिए I-gel लैरिंजियल एयरवे लगाया गया। वीडियो ब्रोंकोस्कोपी की मदद से टीम ने पिन को सटीक रूप से खोजा और विशेष उपकरणों द्वारा सावधानीपूर्वक बाहर निकाला। मामूली रक्तस्राव को टेम्पोनाड और स्थानीय एड्रेनालिन द्वारा नियंत्रित किया गया। यह प्रक्रिया सफल रही और कोई जटिलता नहीं हुई। अगले दिन बच्चे को एंटीबायोटिक्स और फिजियोथेरेपी निर्देशों के साथ छुट्टी दे दी गई।

फेफड़े में फंसी विदेशी वस्तुएँ यदि समय पर पहचानी न जाएँ तो गंभीर जटिलताएँ हो सकती हैं, जैसे बलगम जमा होना, सांस की नली अवरुद्ध होना, संक्रमण या फेफड़े को स्थायी क्षति। यह प्रकरण यह दर्शाता है कि कैसे उन्नत ब्रोंकोस्कोपी तकनीकों द्वारा समय पर पहचान और कम से कम इनवेसिव हस्तक्षेप के जरिए फेफड़े की कार्यक्षमता को सुरक्षित रखा जा सकता है और सर्जरी से बचा जा सकता है।

यह प्रक्रिया डॉ. रंगनाथ टी. गंगा, डॉ. अजय बेहेरा, डॉ. प्रवीण दुबे और डॉ. राहुल चक्रवर्ती द्वारा संपन्न की गई, जिन्हें एनेस्थीसिया विभाग से डॉ. देवेन्द्र त्रिपाठी, डॉ. चंदन डे और डॉ. शमा खान एवं रेडियोलॉजी विभाग ने भी महत्वपूर्ण सहयोग दिया। AIIMS रायपुर के कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ ले. जनरल अशोक जिंदल (सेवानिवृत्त) ने पूरी टीम को उनके उत्कृष्ट कार्य और चिकित्सकीय दक्षता के लिए बधाई दी।

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