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एमएमआई नारायणा हॉस्पिटल रायपुर में 11.4 किलो का विशाल ओवरीयन ट्यूमर सफलतापूर्वक निकाला

Healthbhaskar.com: रायपुर,16 अगस्त 2025 चिकित्सा जगत में रायपुर शहर ने एक और इतिहास रच दिया है। एमएमआई नारायणा हॉस्पिटल के कुशल सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट्स ने मिलकर एक 41 वर्षीय महिला के पेट से 11.4 किलोग्राम वजनी ओवरीयन ट्यूमर को सफलतापूर्वक निकालने में बड़ी सफलता हासिल की है। यह न केवल चिकित्सा विज्ञान की उन्नत तकनीक और विशेषज्ञता का प्रतीक है, बल्कि एक मरीज की जिंदगी को नया जीवन देने का भावनात्मक उदाहरण भी है।

कई महीनों से झेल रही थी तकलीफें

मरीज पिछले कई महीनों से लगातार पेट फूलना, असामान्य भारीपन, गैस की समस्या और थकान जैसी परेशानियों से जूझ रही थी। प्रारंभ में यह तकलीफ सामान्य गैस्ट्रिक या पेट संबंधी समस्या लग रही थी, लेकिन जब तकलीफ असहनीय हो गई और महिला के लिए सामान्य दिनचर्या निभाना मुश्किल हो गया, तब उन्होंने एमएमआई नारायणा कैंसर केयर में चिकित्सकीय परामर्श लिया। जांच और स्कैन रिपोर्ट में सामने आया कि महिला के पेट में एक विशालकाय ओवरीयन ट्यूमर विकसित हो चुका है, जिसने लगभग पूरे पेट को अपनी गिरफ्त में ले लिया था। ट्यूमर इतना बड़ा था कि आसपास के अंगों पर भी दबाव पड़ रहा था और सामान्य शारीरिक क्रियाओं पर गंभीर असर डाल रहा था।

डॉक्टरों ने किया जटिल सर्जरी का चुनौतीपूर्ण निर्णय

वरिष्ठ सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. भारत भूषण (सीनियर कंसल्टेंट – सर्जिकल ऑन्कोलॉजी) ने बताया की यह ट्यूमर आकार और वजन में इतना बड़ा था कि इससे मरीज की जीवनशैली पूरी तरह बाधित हो गई थी। बाकी अंगों पर दबाव पड़ने से सांस लेने, भोजन करने और सामान्य कामकाज में भी गंभीर कठिनाई हो रही थी। ऐसे मामलों में जरा सी लापरवाही भी जानलेवा साबित हो सकती है। डॉ. भारत भूषण और डॉ. आकांक्षा चिखलिकर (एसोसिएट कैंसर सर्जन) ने अपनी टीम के साथ सावधानीपूर्वक योजना बनाई और एक कठिन लेकिन सफल शल्यक्रिया को अंजाम दिया। करीब कई घंटों तक चली इस सर्जरी में महिला के पेट से 11.4 किलोग्राम वजनी ओवरीयन ट्यूमर को सफलतापूर्वक हटा लिया गया। ऑपरेशन के बाद महिला की स्थिति स्थिर रही और उनकी रिकवरी भी अपेक्षा से कहीं बेहतर रही।

डॉ. आकांक्षा चिखलिकर ने बताया की इस तरह के बड़े ट्यूमर को निकालना बेहद चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि यह आसपास के अंगों से सटा हुआ था। थोड़ी सी भी चूक से अन्य अंगों को नुकसान का खतरा था। लेकिन हमारी टीम वर्क और सावधानीपूर्ण रणनीति की वजह से ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा है। ऑपरेशन के बाद महिला ने डॉक्टरों और अस्पताल की टीम के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा की अब मुझे सच में ऐसा लग रहा है कि मैं फिर से सांस ले पा रही हूं। केवल शरीर ही नहीं, मेरा मन भी हल्का हो गया है। डॉक्टरों ने सिर्फ मेरा इलाज नहीं किया, बल्कि मेरी जिंदगी लौटा दी उसके लिए तहे दिल से उनका आभार व्यक्त करती हूं।

डॉ. भारत भूषण ने इस मामले पर ध्यान आकर्षित करते हुए बताया की इतने बड़े ट्यूमर के मामले बेहद दुर्लभ होते हैं और अक्सर देर तक पता भी नहीं चलता। महिलाएं शुरुआती लक्षणों जैसे पेट फूलना, भारीपन, या लगातार थकान को नजरअंदाज कर देती हैं, जो आगे चलकर गंभीर स्थिति का रूप ले लेते हैं। इसलिए नियमित स्वास्थ्य जांच कराना बेहद जरूरी है।

महिलाओं के स्वास्थ्य जागरूकता का संदेश

यह सफलता केवल चिकित्सा विज्ञान की उपलब्धि ही नहीं है, बल्कि महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बढ़ाने का अवसर भी है। अक्सर महिलाएं अपनी दिनचर्या और पारिवारिक जिम्मेदारियों में स्वास्थ्य की उपेक्षा कर देती हैं, जिसके कारण गंभीर बीमारियों का पता देर से चलता है। यह मामला इस बात का सशक्त उदाहरण है कि समय पर जांच और सही इलाज जीवनरक्षक साबित हो सकता है।

एमएमआई नारायणा हॉस्पिटल – मध्यभारत का अग्रणी चिकित्सा संस्थान

रायपुर का एमएमआई नारायणा हॉस्पिटल वर्ष 2011 में अस्तित्व में आया, जब पहले से स्थापित 56 बेड के अस्पताल को आधुनिक सुविधाओं और नवीनतम उपकरणों के साथ 157 बेड की क्षमता वाले सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में परिवर्तित किया गया। आज यह अस्पताल 250 बेड की क्षमता के साथ मध्यभारत का अग्रणी चिकित्सा संस्थान है। यहां हृदय रोग, न्यूरोसाइंस, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, जनरल एवं लेप्रोस्कोपिक सर्जरी, कैंसर उपचार, हड्डी रोग और आपातकालीन चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में उत्कृष्ट सेवाएं उपलब्ध हैं। अस्पताल लगभग 1.26 लाख वर्ग फुट क्षेत्र में फैला है और रायपुर शहर के मध्य में स्थित होने के कारण मरीजों के लिए सुलभ है। इस जटिल शल्यक्रिया ने एक बार फिर यह साबित किया है कि एमएमआई नारायणा हॉस्पिटल न केवल मध्यभारत, बल्कि पूरे देश के लिए उन्नत सर्जिकल तकनीक और बेहतर चिकित्सा सेवाओं का मजबूत केंद्र बन चुका है।

यह सफलता महिलाओं में कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों के समय पर निदान और उपचार की आवश्यकता को रेखांकित करती है। साथ ही यह संदेश भी देती है कि चिकित्सकीय विशेषज्ञता, आधुनिक तकनीक और टीमवर्क से किसी भी गंभीर चुनौती पर विजय पाई जा सकती है।

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