दवा में जहर, जिम्मेदार कौन.. ? JDA जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने उठाए सवाल

Healthbhaskar.com: रायपुर, 07 अक्टूबर 2025 मध्य प्रदेश में ‘Coldrif Syrup’ से 19 मासूम बच्चों की मौत के मामले ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इस त्रासदी के बाद एक डॉक्टर की गिरफ्तारी को लेकर जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन (JDA) छत्तीसगढ़ ने गहरा विरोध दर्ज कराया है। एसोसिएशन का कहना है कि इस घटना के लिए डॉक्टर नहीं, बल्कि दवा निर्माता कंपनी और नियामक तंत्र की लापरवाही इसके लिए जिम्मेदार है।
डॉ. रेशम सिंह, अध्यक्ष, जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन छत्तीसगढ़ ने बयान जारी कर कहा कि एक चिकित्सक ने अपने पेशेवर दायित्व के तहत मरीज का उपचार किया गया।दोषपूर्ण दवा के लिए डॉक्टर को जिम्मेदार ठहराना न केवल अन्याय है, बल्कि चिकित्सा पेशे की गरिमा पर प्रश्नचिह्न है। उन्होंने कहा की डॉक्टर नहीं, दवा निर्माता जिम्मेदार है।
एसोसिएशन द्वारा जारी विस्तृत बयान में कहा गया कि जांच के दौरान जिस ‘Coldrif Syrup’ का उपयोग किया गया, उसमें डायथीलीन ग्लाइकोल (DEG) नामक एक अत्यंत विषैला औद्योगिक रसायन पाया गया है। यह वही रसायन है जिसने इससे पहले भी कई देशों में दर्जनों बच्चों की जान ली थी। इससे स्पष्ट है कि निर्माता कंपनी ने गुणवत्ता नियंत्रण (Quality Control) और सुरक्षा मानकों (Safety Standards) का पालन नहीं किया गया है। एसोसिएशन ने आरोप लगाया कि अगर समय पर नियामक संस्थाएं सक्रिय होतीं और बैच परीक्षण में त्रुटि पकड़ ली जाती, तो आज 19 परिवार अपने बच्चों को नहीं खोते।
नियामक तंत्र की लापरवाही पर सवाल
जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन का मानना है कि राज्य और केंद्र स्तर पर दवा नियंत्रण प्रणाली में गंभीर खामियां उजागर हुई हैं। दवा बाजार में आने से पहले उसकी बायो-केमिकल टेस्टिंग, बैच सर्टिफिकेशन और वितरण निगरानी के नियमों का सही से पालन नहीं किया गया। यह त्रासदी किसी व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे स्वास्थ्य निगरानी तंत्र की असफलता का परिणाम है। अगर नियामक संस्थाएँ समय पर सतर्क होतीं, तो यह दुर्घटना टल सकती थी।
डॉक्टर की गिरफ्तारी को बताया ‘न्याय के विरुद्ध कदम’
डॉ. रेशम सिंह, अध्यक्ष, जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन छत्तीसगढ़ ने इस बात पर गंभीर आपत्ति जताई कि डॉक्टर को निर्माता की गलती के लिए गिरफ्तार किया गया है। डॉ. रेशम सिंह ने कहा कि यह गिरफ्तारी कानूनी और नैतिक दोनों रूपों में गलत है। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों का दायित्व मरीज को सर्वोत्तम चिकित्सा देना होता है, दवाओं की रासायनिक संरचना की जांच करना नहीं। यदि दोषपूर्ण दवा बाजार में आई है, तो यह दवा निर्माता और नियंत्रक तंत्र की जिम्मेदारी है।एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि यदि डॉक्टर पर से आरोप नहीं हटाए गए, तो देशभर के जूनियर डॉक्टर इस मुद्दे पर एकजुट होकर आंदोलन करेंगे।
JDA की प्रमुख मांगें
- डॉक्टर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई को तुरंत रोका जाए।
- दवा निर्माता कंपनी और नियामक अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाए।
- दवा निर्माण एवं वितरण प्रणाली में सख्त निगरानी तंत्र लागू किया जाए।
- भविष्य में ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए एक राष्ट्रीय निगरानी समिति गठित की जाए।
- मीडिया और जनता को सत्य जानकारी पारदर्शी रूप से उपलब्ध कराई जाए।
एसोसिएशन ने जनता को अपील भी की है कि वे डॉक्टरों के प्रति पूर्वाग्रह या भावनात्मक प्रतिक्रिया से बचें। डॉक्टर समाज का उपचारक है, अपराधी नहीं। किसी एक घटना के आधार पर पूरे चिकित्सा समुदाय को कठघरे में खड़ा करना उचित नहीं। डॉ. रेशम सिंह ने कहा कि इस मामले को संवेदनशीलता से देखने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मासूम बच्चों की मौत बेहद दुखद है, लेकिन न्याय वहीं होगा जब वास्तविक दोषी निर्माता और नियामक को जवाबदेह ठहराया जाएगा।
मध्य प्रदेश में बीते सप्ताह ‘Coldrif Syrup’ के सेवन से 19 बच्चों की मौत की पुष्टि हुई थी। जांच में पाया गया कि सिरप में डायथीलीन ग्लाइकोल (DEG) नामक विषैला रसायन मौजूद था, जो किडनी फेल्योर का कारण बना। यह रसायन प्रायः औद्योगिक उपयोग में आता है और चिकित्सा दवाओं में इसका प्रयोग कड़ी निगरानी के तहत ही किया जाता है। इस घटना ने देश में फार्मास्युटिकल गुणवत्ता नियंत्रण पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन की भूमिका
जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन (JDA) छत्तीसगढ़ देश के चिकित्सा समुदाय का एक प्रमुख संगठन है, जो मेडिकल शिक्षा, चिकित्सक सुरक्षा, और स्वास्थ्य नीति सुधार जैसे विषयों पर सक्रिय रूप से कार्यरत है। संघ के अनुसार, ऐसी घटनाएँ डॉक्टरों में भय और असुरक्षा का वातावरण पैदा करती हैं, जिससे भविष्य में निर्णय लेने की स्वतंत्रता और रोगी देखभाल की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।
नीतिगत सुधार की आवश्यकता- डॉ रेशम सिंह अध्यक्ष , JDA छत्तीसगढ़
इस मामले ने फिर से यह प्रश्न खड़ा कर दिया है कि भारत में दवा निर्माण, वितरण और गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली कितनी सक्षम है। एसोसिएशन ने केंद्र सरकार से मांग की है कि Drug Quality Surveillance Network को मजबूत किया जाए और AI आधारित औषधि परीक्षण प्रणाली लागू की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की त्रासदियाँ दोबारा दोहराई न जाएँ। अपने बयान के अंत में एसोसिएशन ने दिवंगत बच्चों के परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की और कहा कि इन बच्चों की मौत व्यर्थ न जाए। हमें इस त्रासदी से सीख लेकर चिकित्सा और औषधि व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी बनाना होगा।