एमबीबीएस परिणाम में अनावश्यक देरी: IMA ने उठाया मुद्दा

हेल्थ भास्कर : छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाएं इन दिनों गंभीर संकट से जूझ रही हैं इसी कड़ी में पं. दीनदयाल उपाध्याय स्मारक स्वास्थ्य विज्ञान एवं आयुष विश्वविद्यालय,रायपुर की लापरवाही से सरकारी और निजी चिकित्सा कालेजों में चिकित्सा के शैक्षणिक कैलेंडर का पालन नहीं हो पा रहा है। आलम ये है कि एमबीबीएस अंतिम वर्ष ( फाइनल) की परीक्षा तीन महीने पहले संपन्न हो चुकी है, लेकिन अभी तक परिणाम जारी नहीं किया गया है।
जूनियर फाइनल ईयर का रिजल्ट 3 महीना बाद भी नहीं आया
परीक्षा परिणाम अटका होने की वजह से न तो वे अस्पतालों में सेवाएं दे पा रहे हैं और न ही आगे की पढ़ाई या प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर पा रहे हैं।
मामला राजभवन तक पहुंच चुका है। राज्यपाल से शिकायत के बाद भी विश्वविद्यालय के कुलपति डा. पीके पात्रा व अन्य विवि प्रबंधन की तरफ से कोई प्रतिक्रिया अभी तक प्राप्त नहीं हुयी हैं।
ज्ञात हो कि प्रदेश में पहले से ही स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति चिंताजनक है, करीब 68% प्रतिशत चिकित्सा संस्थानों में फैकल्टीज के पद खाली हैं और ऐसे में एमबीबीएस विद्यार्थी ही अस्पतालों में डाक्टर की अहम भूमिका निभाते हैं, परिणाम रुके होने से अस्पतालों में इलाज के लिए मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
पीजी वालों को भी तीन महीने से इंतजार
नीट पीजी परीक्षा में शामिल होने के लिए एक वर्ष की इंटर्नशिप अनिवार्य होती है। लेकिन परिणाम न आने से एमबीबीएस विद्यार्थियों की इंटर्नशिप भी शुरू नहीं हो पा रही है। इससे विद्यार्थियों का भविष्य अधर में लटक गया है , आम तौर पर एमबीबीएस की परीक्षा का परिणाम 8 से 10 दिन में घोषित कर दिया जाता है। लेकिन आयुष विश्वविद्यालय में डा. पीके पात्रा के कुलपति बनने के बाद से व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं। सूत्रों के मुताबिक विश्वविद्यालय प्रबंधन ने एमबीबीएस का परिणाम तैयार करने का कार्य किसी निजी कंपनी को सौंप दिया है, जिससे और देरी हो रही है। ऐसे में प्रदेश के आयुष विवि की साख पर संकट खड़ा हो गया है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने जताई नाराजगी
इस मामले को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष डा. कुलदीप सोलंकी ने नाराजगी जाहिर की है एवं उन्होंने महामहिम राज्यपाल महोदय को मामले की जानकारी देकर उनसे इस मामले में हस्तक्षेप कर परिणाम जल्द जारी कराने की अपील की है। डा. सोलंकी का कहना है कि चिकित्सा के विद्यार्थियों का भविष्य अंधकारमय हो रहा है। स्वास्थ्य सेवाएं भी प्रभावित हो रही हैं। अनावश्यक विलंब के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन की जवाबदेही तय होनी चाहिए।
प्रदेश के चिकित्सा संगठनों ने भी सरकार से अपील
विद्यार्थियों और उनके परिजनों में गहरी नाराजगी है। प्रदेश के चिकित्सा संगठनों ने भी सरकार से अपील की है कि जल्द से जल्द परीक्षा परिणाम जारी कर छात्रों की इंटर्नशिप शुरू करवाई जाए।
अगर समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं हुआ तो आने वाले समय में प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था और अधिक बदहाल हो सकती है। विद्यार्थियों में रोष के चलते आने वाले समय में विवि प्रबंधन को विरोध का सामना भी करना पड़ सकता है।