योग से आरोग्य की ओर – डॉ. कुलदीप सोलंकी के साथ विशेष संवाद

हेल्थ भास्कर: 21 जून 2025 ,अंतराष्ट्रीय योग दिवस पर हेल्थ भास्कर के साथ विशेष चर्चा में डॉ कुलदीप सोलंकी ,संयोजक,छत्तीसगढ़ सिविल सोसाइटी ने योग के आधारभूत सिद्धांतों का विस्तार से विश्लेषण किया है जिसे हम इस बुलेटिन में शेयर कर रहे हैं। यह विषय बहुत अधिक विस्तृत है तथा उनकी टीम की सालों साल की मेहनत को बेहद संक्षेप में प्रसारित करने का प्रयास है।
योग का अर्थ होता है Addition अर्थात जोड़ना। हमारी योग पद्धति का मुख्य सिद्धांत शरीर को मस्तिष्क और मन से तथा मन को ब्रह्मांड से एक सूत्र में पिरोना है ।योग को हम विभिन्न आसनों में विभाजित करते हैं। अधिकांश आसनों के नाम हमारे आस पास के प्रकृति एवं जीवो के नाम पर रखे गए हैं जैसे पर्वतासन, वृक्षासन, ताड़ासन, भुजंगासन( सांप) , मत्स्यासन( मछली), शलभासन (Locust), मर्जरी(cat)आसन इत्यादि शामिल है।
योग के शरीर पर होने वाले फायदे का मॉडर्न मेडिकल साइंस के सिद्धांतों के अनुसार विश्लेषण
योग के विभिन्न आसन में व्यक्ति शरीर की विभिन्न मांसपेशियों को उपयोग में लाता है। जब भी मांसपेशियां कॉन्ट्रैक्ट अर्थात संकुचित होती हैं दो प्रकार की गतिविधि पाई जाती है जिसमें Isotonic Contraction (आइसोटोनिक कॉन्ट्रक्शन) अर्थात मांसपेशियों की लंबाई परिवर्तित होती है लेकिन टोन नहीं बदलती और Isometric Contraction (आइसोमेट्रिक कॉन्ट्रक्शन) अर्थात मांसपेशी की लंबाई संकुचित होते समय नहीं बदलती।
एक और साइंटिफिक बुनियादी फर्क समझना जरूरी है कि जब की मांसपेशियां संकुचित होती है तो उसमें दो प्रकार के मेटाबॉलिज्म होते हैं जिसमे Anaerobic Metabolism (एनएरोबिक मेटाबॉलिज्म) अर्थात ऑक्सीजन की कमी के वातावरण में होने वाली प्रक्रिया। इसमें केवल तीन एटीपी का सृजन होता है तथा Aerobic Metabolism (एरोबिक मेटाबॉलिज्म) अर्थात मांसपेशियों के संकुचन के समय ग्लूकोस का ब्रेकडाउन ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा के सानिध्य में होता है और इसके तहत 39 एटीपी का सृजन होता है।
योग जिम में एक्सरसाइज करने से बेहतर क्यों हैं ?
योग एवं अन्य सारी कसरत या व्यायाम में बुनियादी फर्क यह है की जब भी हम जिम में एक्साइज करते हैं, दौड़ते हैं या साइकिलिंग करते हैं तो मुख्य रूप से मांसपेशियों मेंआइसोटोनिक कांट्रेक्शन होता है जो सर्वश्रेष्ठ प्रकार का संकुचन नहीं है। कोई भी व्यायाम, जिम में की गई एक्सरसाइज, साइकिलिंग अथवा दौड़ते समय मांसपेशियों में मुख्यतः Anaerobic (एनएरोबिक) मेटाबॉलिज्म होता है जिसके फलस्वरुप ऊर्जा का उत्पादन केवल 3 ATP एटीपी ही होता है। इतना ही नहीं एनएरोबिक मेटाबॉलिज्म की वजह से मांसपेशियों में Lactic Acid (लैक्टिक एसिड) का जमाव हो जाता है जो मांसपेशियों में थकान एवं दर्द का कारक होती है।
इसके विपरीत जब हम योग करते हैं तो सारे आसनो में बहुत बारीकी से यह व्यवस्था की गई है कि मांसपेशियों में मुख्यतः आइसोमेट्रिक कॉन्ट्रक्शन होता है। यह मांसपेशियों को मजबूत बनाता है तथा यह सर्वश्रेष्ठ कॉन्ट्रक्शन है। दूसरी और सबसे सर्वश्रेष्ठ खूबी जो योग में बहुत ही आसानी से डाली गई है और वह है की मांसपेशियों के कॉन्ट्रक्शन के समय अधिक से अधिक Aerobic Metabolism (एरोबिक मेटाबॉलिज्म) हो। इसके लिए हमें बहुत ही आसान तरीके से सिखाया गया है कि जब भी आप झुक रहे हैं तो सांस छोड़ना है और उठ रहे हैं तो सांस लेना है। इस प्रकार ना केवल योगासन में आइसोमेट्रिक कांट्रेक्शन हो रहा है बल्कि एरोबिक मेटाबॉलिज्म भी हो रहा है।
योग के अलावा अन्य किसी भी प्रकार की कसरत में सांस लेने की विधि पर कोई सलाह नहीं दी जाती है। योग के अंतर्गत यह व्यवस्था भी की गई है कि 10 -15 मिनट के अंतराल में आप अनुलोम विलोम या भस्त्रिका आदि प्राणायाम करें जिसका मुख्य उद्देश्य शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाना है तथा पूरे मेटाबॉलिज्म को एरोबिक मेटाबॉलिज्म में परिवर्तित करना है ।
इस दौरान शरीर में एकत्रित हुई लैक्टिक एसिड को भी साफ कर दिया जाता है जिसकी वजह से योग में हमें थकान होने की बजाय जोश का संचार होता है। यह तो हुई मूलभूत सिद्धांतों की बातें। अब हम संक्षेप में चर्चा करेंगे कि किस प्रकार योग से इम्युनिटी बढ़ती है। विभिन्न शोधों से पता चला है की निरंतर योग करने से व्यक्ति के शरीर में सेल्यूलर इम्यूनिटी के कारक NK cells तथा Interferon Gamma बढ़ जाते हैं जिसकी वजह से व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर हो जाती है।
निरंतर योग करने से ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम (जो इम्यूनिटी के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है) दुरुस्त होता है जिसकी वजह से किसी भी संक्रमण में शरीर का प्रतिरोधक रिस्पांस सटीक, संतुलित अनुशासित तथा प्रासंगिक होता है । इस वजह से Cytokine Cascade की संभावना कम हो जाती है। इम्यूनिटी की एक महत्वपूर्ण ग्रंथि Thymus होता है जिसे केवल और केवल योगासन से ही प्रभावित किया जा सकता है।
इनके अलावा साइंस मे योग के अनेकानेक फायदे प्रमाणित हो चुके हैं। मसलन शुगर को कंट्रोल करना, दमा एवं हार्ट के मरीजों के फेफड़े एवं हार्ट को मजबूत करना, हड्डियों को मजबूत करना, कोलस्ट्रोल/ वजन को नियंत्रित करना है, गठिया, वात को कम करना, Concentration बढ़ाना , वाकपटुता बढ़ाना, तनाव कम करना नींद बेहतर करना, स्पोर्ट्स में बेहतर परफॉर्मेंस करना इत्यादि बहुत ही लाभदायक है।
हजारों लाखों योगासनों में सर्वश्रेष्ठ आसन कौन सा है ?
डॉ. कुलदीप सोलंकी अंत में जानकारी साझा करते हुए बताया की हमारी रिसर्च टीम के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति सारे आसान नहीं कर सकता तो उसे अनुलोम विलोम प्राणायाम के साथ सूर्य नमस्कार आसन 5 बार प्रतिदिन अवश्य करना चाहिए। सारे आसनों में सूर्य नमस्कार आसन को सर्वश्रेष्ठ माना गया है क्योंकि इसमें बहुत सारे आसनों का सम्मिश्रण देखा गया है। मेक्सिको में हुई वृहद रिसर्च में पाया गया कि लगातार सूर्य नमस्कार आसन करने वाले व्यक्तियों में हृदय एवं फेफड़ों की फिटनेस बनी रहती है तथा 5 बार सूर्य नमस्कार प्रतिदिन करने से मोटापा, मेटाबॉलिक सिंड्रोम, डायबिटीज एवं कोलेस्ट्रॉल आदि की समस्याओं से बचा जा सकता है।