हृदय से चिपका कैंसर हटाया, डॉक्टरों ने दी नई जिंदगी – अम्बेडकर अस्पताल की बड़ी सफलता

Healthbhaskar.com: रायपुर, 09 अक्टूबर 2025 पंडित जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय से संबद्ध डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय, रायपुर के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने एक बार फिर से चिकित्सा क्षेत्र में असाधारण उपलब्धि दर्ज की है। 35 वर्षीय ओडिशा निवासी युवक के हृदय से चिपके 11×7 सेंटीमीटर के दुर्लभ कैंसरग्रस्त थाइमस ट्यूमर को पाँच घंटे की जटिल सर्जरी कर सफलतापूर्वक निकालकर उसे नई जिंदगी डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय के डॉक्टर्स द्वारा दी गयी है।
मरीज थाइमस ग्रंथि से उत्पन्न होने वाले “Invasive Carcinoma of Thymus” नामक अत्यंत दुर्लभ और आक्रामक कैंसर से पीड़ित था। यह कैंसर हृदय की प्रमुख रक्त नलिकाओं एओर्टा (Aorta), जुगलर वेन (Jugular Vein) और सुपीरियर वेना केवा (SVC) से गहराई तक चिपका हुआ था, जिससे सर्जरी अत्यंत जोखिमपूर्ण बन गई थी।
डॉक्टरों की टीम ने जीती पाँच घंटे की चुनौतीपूर्ण सर्जरी
ऐसी चुनौतीपूर्ण सर्जरी का नेतृत्व कैंसर सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. आशुतोष गुप्ता और हार्ट सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू द्वारा किया गया। उनके साथ डॉक्टरों की संयुक्त टीम डॉ. किशन सोनी, डॉ. गुंजन अग्रवाल, डॉ. सुश्रुत अग्रवाल, डॉ. के. लावण्या, डॉ. समृद्ध, डॉ. सोनम, डॉ. अनिल, तथा निश्चेतना विभाग की डॉ. रचना और डॉ. अविनाश ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गयी।
इस जटिल ऑपरेशन में मेडियन स्टर्नोटॉमी (Median Sternotomy) तकनीक अपनाई गई, जिसमें छाती की हड्डी को सावधानीपूर्वक काटकर हृदय तक पहुंच बनाई गई। सर्जन टीम ने कैंसरग्रस्त गांठ को हृदय और बड़ी रक्त नलिकाओं से सावधानीपूर्वक अलग किया तथा फेफड़े के कुछ हिस्से सहित पूरी तरह निकाल दिया।
कैंसर सर्जरी और कार्डियक टीम की संयुक्त सफलता
अस्पताल के डीन डॉ. विवेक चौधरी और अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने इस सर्जरी को संस्थान के लिए “एक और ऐतिहासिक उपलब्धि” बताते हुए कहा कि यह केस अस्पताल की कैंसर सर्जरी और कार्डियक सर्जरी टीम की उच्च दक्षता, तकनीकी कौशल और टीमवर्क का उत्कृष्ट उदाहरण है। डॉ. विवेक चौधरी ने बताया कि यह मध्य भारत में इंवेसिव कार्सिनोमा ऑफ थाइमस का संभवतः पहला केस है। मरीज की हालत गंभीर थी, पर हमारी टीम ने असंभव को संभव किया है।
दुर्लभ और जानलेवा कैंसर – इंवेसिव कार्सिनोमा ऑफ थाइमस
डॉ. आशुतोष गुप्ता ने बताया कि यह कैंसर थाइमस ग्रंथि में विकसित होता है, जो छाती के सामने, हृदय के पास स्थित होती है। यह सामान्यतः देर से पहचाना जाता है, जब यह पहले से ही हृदय या फेफड़ों से चिपक चुका होता है। इस वजह से ऑपरेशन के दौरान जीवन-जोखिम बहुत बढ़ जाता है। यह सर्जरी इतनी चुनौतीपूर्ण थी कि हृदय की मुख्य रक्त नलिकाओं को नुकसान पहुँचने का खतरा हर पल बना रहा। लेकिन हमने सावधानीपूर्वक काम करते हुए पूरे ट्यूमर को सुरक्षित रूप से निकाल दिया गया है।
मरीज की स्थिति अब स्थिर, डॉक्टरों को ‘लाइफ सेवर’ कहा गया
सर्जरी के बाद मरीज की स्थिति स्थिर है और वह धीरे-धीरे स्वस्थ हो रहा है। उसके परिवार ने अम्बेडकर अस्पताल के डॉक्टरों को ‘लाइफ सेवर’ कहा है।
मरीज की पत्नी ने कहा हम सोच भी नहीं सकते थे कि इतने बड़े अस्पताल में इतनी संवेदनशीलता और मेहनत से इलाज होगा। डॉक्टरों ने हमारे परिवार को फिर से उम्मीद दी है।
कैंसर और कार्डियक सर्जरी का दुर्लभ संयोजन
डॉ. के.के. साहू ने बताया कि इस प्रकार की सर्जरी बहुत कम केंद्रों में संभव होती है क्योंकि इसके लिए कैंसर सर्जन और कार्डियक सर्जन की संयुक्त विशेषज्ञता आवश्यक होती है। अक्सर यह कैंसर देर से पहचान में आता है, जब सर्जरी का मौका नहीं बचता। इस केस में सही समय पर निर्णय और समन्वय से मरीज की जान बचाई गयी।
अस्पताल की नई पहचान – उन्नत सर्जिकल क्षमताओं की दिशा में कदम
अम्बेडकर अस्पताल, रायपुर पिछले कुछ वर्षों में कैंसर और हृदय सर्जरी के क्षेत्र में लगातार प्रगति कर रहा है। इस सर्जरी ने इसे एक नए मुकाम पर पहुँचा दिया है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि इस सफलता से प्रदेश और आसपास के राज्यों के मरीजों को भी लाभ मिलेगा। यह मामला चिकित्सा विज्ञान में विश्वास, दक्षता और समर्पण का प्रतीक है। डॉक्टरों ने न केवल मरीज की जान बचाई, बल्कि यह भी सिद्ध किया कि सही टीमवर्क और विशेषज्ञता से कोई भी जटिल बीमारी हार सकती है।