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अम्बेडकर अस्पताल के ओपीडी परिसर में बच्ची का जन्म, डॉक्टरों की तत्परता से जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित

Healthbhaskar.com: रायपुर, 23 सितंबर 2025। डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय में मंगलवार की सुबह आरंग से आई एक गर्भवती महिला ने अचानक प्रसव पीड़ा को मल त्याग की आवश्यकता समझ लिया और ओपीडी परिसर स्थित शौचालय चली गई। कुछ ही क्षणों बाद उसने शौचालय में ही 2.4 किलोग्राम वज़न की स्वस्थ बालिका को जन्म दे दिया। परिजनों ने जैसे ही स्थिति की गंभीरता समझी, तत्काल ओपीडी स्टाफ को सूचना दी। डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ ने तत्परता और संवेदनशीलता का परिचय देते हुए महिला और नवजात की तुरंत मदद की। उन्हें तुरंत प्रसव कक्ष में शिफ्ट किया गया और आवश्यक चिकित्सीय देखभाल प्रदान की गई।

जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित

प्रसूति विभाग के विशेषज्ञों ने बताया कि महिला और बच्ची दोनों स्वस्थ हैं। नवजात शिशु को जन्म के तुरंत बाद शिशु रोग विशेषज्ञों के पास दिखाया गया, जहाँ उसके स्वास्थ्य की जांच कर आवश्यक टीके लगाए गए। इसके बाद उसे परिजनों को सुरक्षित सौंप दिया गया है। विशेष बात यह रही कि महिला का ब्लड ग्रुप नेगेटिव पाया गया, जबकि नवजात शिशु का ब्लड ग्रुप पॉजिटिव निकला। ऐसी स्थिति में चिकित्सकीय नियमों के अनुसार महिला को तुरंत एंटी-डी (Rh(D) इम्यूनोग्लोब्युलिन) इंजेक्शन और दवाएँ दी गईं, ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की जटिलता से बचा जा सके। अस्पताल प्रशासन ने बताया कि परिजनों की सजगता और मेडिकल टीम की तत्परता की वजह से स्थिति को नियंत्रित किया जा सका। समय रहते मिली देखभाल के कारण जच्चा और बच्चा दोनों सुरक्षित हैं।

विशेषज्ञों की राय – समझें प्रसव लक्षण

प्रसूति विभाग के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने बताया कि अक्सर महिलाएँ प्रसव पीड़ा के शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज कर देती हैं। इस केस में महिला ने अचानक मल त्यागने की इच्छा को सामान्य समझा, जबकि यह प्रसव का संकेत था। डॉक्टरों ने बताया कि यदि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो तो तुरंत प्रसव कक्ष या सुरक्षित स्थान पर पहुँचना चाहिए, ताकि मां और शिशु की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

अस्पताल प्रशासन की सराहना

अस्पताल प्रबंधन ने नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टरों की तेज़ कार्रवाई की सराहना की है। यह घटना बताती है कि समय पर निर्णय और टीमवर्क से किसी भी आपात स्थिति में मरीज को सुरक्षित रखा जा सकता है। यह घटना न केवल अम्बेडकर अस्पताल की संवेदनशीलता और तत्परता का उदाहरण है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि प्रसव के समय प्रत्येक क्षण महत्वपूर्ण होता है। सही जानकारी और सही समय पर मिली चिकित्सा से मां और शिशु दोनों की जान बचाई जा सकती है।

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