अम्बेडकर अस्पताल में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर आयोजित हुआ जागरूकता कार्यक्रम

Healthbhaskar.com: रायपुर, 12 अक्टूबर 2025 विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय एवं पंडित जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के मनोरोग विभाग (Psychiatry Department) द्वारा एक प्रेरणादायक जागरूकता कार्यक्रम (Awareness Program) का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य आम नागरिकों को मानसिक स्वास्थ्य के महत्व से जोड़ना और “मानसिक रोग” से जुड़ी सामाजिक भ्रांतियों को दूर करना था।
कार्यक्रम का शुभारंभ फिजियोथैरेपी हॉल में सम्पन्न हुआ। जहां बड़ी संख्या में विद्यार्थी, चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ और अन्य अस्पताल कर्मी उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत शासकीय नर्सिंग महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा प्रस्तुत नुक्कड़ नाटक (Street Play) से हुई, जिसमें उन्होंने दैनिक जीवन में तनाव, अवसाद, चिंता और आत्महत्या जैसे संवेदनशील विषयों को बेहद प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया।
तनाव से मुक्ति का पहला कदम है – स्वीकार करना कि मदद की ज़रूरत है: डॉ. मनोज साहू
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मनोरोग विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज साहू (Dr. Manoj Sahu) ने कहा कि आज की तेज़ रफ्तार जीवनशैली में हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में मानसिक दबाव में है। तकनीकी युग ने जीवन को सुविधाजनक तो बनाया है, लेकिन इसके साथ मानसिक तनाव, अकेलापन, चिंता और अवसाद जैसी स्थितियां बढ़ी हैं। इस डिजिटल युग में जब घर के बच्चे भी मोबाइल और सोशल मीडिया की दुनिया में खोए रहते हैं, ऐसे में परिवार, शिक्षक और समाज की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। मानसिक स्वास्थ्य अब व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामूहिक जिम्मेदारी है। डॉ. साहू ने यह भी कहा कि मानसिक रोग किसी कमजोरी का संकेत नहीं, बल्कि एक स्वास्थ्य स्थिति (Health Condition) है, जिसका इलाज और परामर्श पूरी तरह संभव है।
मानसिक स्वास्थ्य उतना ही आवश्यक जितना शारीरिक स्वास्थ्य : डॉ. संतोष सोनकर
अस्पताल के अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने कार्यक्रम में कहा कि व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य उसकी समग्र जीवन गुणवत्ता का आधार है। यदि किसी को लगता है कि वह मानसिक रूप से अस्थिर है या निरंतर तनाव, डर या अवसाद महसूस कर रहा है, तो तुरंत विशेषज्ञ की मदद लेनी चाहिए। मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना आत्म-देखभाल का पहला कदम है। सभी से अपील की कि वे अपने परिवार के बुजुर्गों, बच्चों और सहकर्मियों के व्यवहार में होने वाले बदलावों पर ध्यान दें और ज़रूरत पड़ने पर डॉक्टर से परामर्श अवश्य लेना चाहिए।
डॉ. सुरभि दुबे ने बताया मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता
मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. सुरभि दुबे ने अम्बेडकर अस्पताल में उपलब्ध Psychiatric OPD और Counseling Services की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अस्पताल में मानसिक रोगों के निदान, परामर्श और इलाज की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं,जिसमें क्लिनिकल सायकोलॉजी (Clinical Psychology), चाइल्ड सायकोलॉजी (Child Psychology), और साइकोथैरेपी (Psychotherapy) शामिल हैं।अस्पताल में प्रशिक्षित काउंसलर (Counsellor) और क्लिनिकल सायकोलॉजिस्ट (Clinical Psychologist) लगातार मरीजों की मदद कर रहे हैं ताकि वे अपने डर, तनाव या भ्रम से बाहर निकल सकें।
नर्सिंग छात्राओं ने सीखा : पहले खुद का मानसिक स्वास्थ्य, तभी दूसरों की सेवा
कार्यक्रम में शासकीय नर्सिंग महाविद्यालय की मनोरोग विभागाध्यक्ष नीतू त्रिपाठी ने कहा कि नर्सिंग छात्राओं के लिए मानसिक स्थिरता अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि वे प्रतिदिन मरीजों के दर्द और पीड़ा से गुजरती हैं। उन्होंने छात्राओं को मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की सलाह दी ताकि वे अपने पेशे में बेहतर प्रदर्शन कर सकें।
अम्बेडकर अस्पताल में व्यापक मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध
अम्बेडकर अस्पताल का Psychiatry Department पूरे छत्तीसगढ़ में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में अग्रणी है। यहाँ क्लिनिकल सायकोलॉजिस्ट, काउंसलर, और चाइल्ड सायकोलॉजिस्ट मरीजों के परामर्श के लिए नियमित रूप से उपलब्ध हैं। यदि किसी व्यक्ति को डर, चिंता, तनाव, घबराहट, अनिद्रा या भ्रम (Phobia, Anxiety, Depression, Insomnia) जैसी समस्याएँ हैं, तो वे विभाग में परामर्श ले सकते हैं।
बच्चों में होने वाली समस्याएँ जैसे मोबाइल की लत, पढ़ाई में ध्यान न लगना, बिस्तर गीला करना, या आत्म-विश्वास की कमी जैसी स्थितियों के लिए चाइल्ड सायकोलॉजिस्ट डॉ. रीना राजपूत की सेवाएँ उपलब्ध हैं। ब्लड बैंक में रक्तदान से पहले डर या चिंता महसूस करने वालों के लिए काउंसलर भूमिका यादव लगातार परामर्श देती हैं। स्त्रीरोग और कैंसर विभागों में भी काउंसलर उपलब्ध हैं जो मरीजों की मानसिक स्थिति को समझकर उनका मार्गदर्शन करते हैं।
कार्यक्रम में शामिल रहे विशेषज्ञ
कार्यक्रम में डॉ. प्रवीना मिश्रा (Clinical Psychologist), रीना बरई, शीला मलिक, डी. अश्लेषम, अभिलाषा गुजराती, रश्मि मसीह, भूपेंद्र लादेर, और भूमिका यादव सहित कई स्वास्थ्यकर्मी उपस्थित रहे। सभी ने एकमत से कहा कि मानसिक स्वास्थ्य के प्रति समाज में जागरूकता बढ़ाना ही सबसे बड़ी रोकथाम है।