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छत्तीसगढ़ के सुपरस्पेशलिटी,पीजी और एमबीबीएस डॉक्टरों की समस्याएँ- तत्काल हस्तक्षेप की मांग

हेल्थ भास्कर : रायपुर, छत्तीसगढ़ राज्य में सुपरस्पेशलिटी, पीजी और एमबीबीएस डॉक्टरों को बॉन्ड पोस्टिंग, आर्थिक दवाब और प्रशासनिक विलंब जैसी कई गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इन मुद्दों के समाधान के लिए संबंधित अधिकारियों से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की जा रही है।

मुख्य समस्याएँ

बॉन्ड पोस्टिंग में विशेषज्ञता का उपयोग नहीं: पीजी डॉक्टरों को PHC/CHC में नियुक्त किया जा रहा है, जहाँ उनकी विशेषज्ञता का पूर्ण उपयोग नहीं हो पाता। इससे जिला चिकित्सालयों और मेडिकल कॉलेजों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी बनी रहती है।

उच्च बॉन्ड राशि और मॉर्टगेज की बाध्यता: एमबीबीएस और पीजी डॉक्टरों को क्रमशः ₹25 लाख और ₹50 लाख की बॉन्ड राशि जमा करनी होती है, जिसमें प्रॉपर्टी मॉर्टगेज की आवश्यकता होती है। यह निम्न और मध्यम वर्गीय छात्रों के लिए आर्थिक रूप से अत्यधिक बोझिल है।

बॉन्ड पोस्टिंग में विलंब: जनवरी 2025 में पीजी परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले कई डॉक्टर अभी तक बॉन्ड पोस्टिंग की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जिससे उनकी आजीविका और अनुभव दोनों प्रभावित हो रहे हैं।
सुपरस्पेशलिटी कैडर का अभाव: राज्य में सुपरस्पेशलिटी डॉक्टरों की कमी है, जिसका मुख्य कारण कम वेतन और सुपरस्पेशलिटी कैडर का न होना है। अन्य राज्यों जैसे मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की तर्ज पर सुपरस्पेशलिटी कैडर का निर्माण आवश्यक है।

छत्तीसगढ़ डॉक्टर्स फेडरेशन की  मांगें 

  • बॉन्ड पोस्टिंग में पीजी डॉक्टरों को उनकी विशेषज्ञता के अनुसार मेडिकल कॉलेजों या जिला चिकित्सालयों में नियुक्त किया जाए।
  • बॉन्ड राशि और मॉर्टगेज की शर्तों में शिथिलता प्रदान की जाए, ताकि आर्थिक रूप से कमजोर छात्र भी उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकें।
  • बॉन्ड पोस्टिंग की प्रक्रिया में तेजी लाई जाए, ताकि डॉक्टरों को समय पर नियुक्ति मिल सकें।
  • राज्य में सुपरस्पेशलिटी कैडर का गठन किया जाए, जिससे विशेषज्ञ डॉक्टरों को उचित मान-सम्मान और वेतन मिल सकें।

 

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