Thu. Oct 23rd, 2025

पारंपरिक चिकित्सा हमारी संस्कृति और जनसेवा की धरोहर : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

Healthbhaskar.com:  रायपुर, 09 अक्टूबर 2025 मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राजधानी रायपुर स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित राज्य स्तरीय परंपरागत वैद्य सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा की छत्तीसगढ़ की धरती औषधीय परंपराओं और जनस्वास्थ्य ज्ञान की समृद्ध धरोहर है। इस सम्मेलन का आयोजन छत्तीसगढ़ आदिवासी स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधि पादप बोर्ड द्वारा किया गया।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार सभी पंजीकृत वैद्यों को प्रशिक्षण और प्रमाणन प्रदान करेगी, जिससे वे विधिवत रूप से सेवा दे सकें। उन्होंने कहा कि पारंपरिक वैद्य हमारे स्वास्थ्य तंत्र की मूल आत्मा हैं, जिन्हें सरकार संरक्षित और सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

औषधीय पौधों की प्रदर्शनी और वैद्यों का सम्मान

सम्मेलन में प्रदेशभर से आए 1300 से अधिक परंपरागत वैद्यों ने हिस्सा लिया। मुख्यमंत्री का स्वागत पारंपरिक जड़ी-बूटियों की माला पहनाकर किया गया।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने औषधीय पौधों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया और कहा छत्तीसगढ़ की धरती पर डेढ़ हजार से अधिक औषधीय पौधों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। हमारी यह विरासत न केवल जनस्वास्थ्य का आधार है बल्कि आर्थिक सशक्तिकरण का भी माध्यम बन सकती है। मुख्यमंत्री ने पद्मश्री हेमचंद मांझी का उल्लेख करते हुए कहा कि वे दूरस्थ इलाकों में रहकर अपने पारंपरिक ज्ञान से जटिल रोगों का सफल उपचार करते हैं।अमेरिका जैसे देशों से लोग उनके पास इलाज के लिए आते हैं। यह भारत की पारंपरिक चिकित्सा की शक्ति का प्रमाण है। भारत में लगभग 60 से 70 हजार वैद्य कार्यरत हैं, जिनमें से करीब 1500 वैद्य केवल छत्तीसगढ़ में सक्रिय हैं।

छत्तीसगढ़ – हर्बल स्टेट की दिशा में अग्रसर

मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली को मान्यता दी है। छत्तीसगढ़ अब पूरे देश में एक ‘हर्बल स्टेट’ के रूप में पहचान बना चुका है। दुर्ग जिले के पाटन स्थित जामगांव में औषधीय पौधों से अर्क निकालने का कारखाना स्थापित किया गया है, जो आयुष आधारित उद्योगों के लिए मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी प्राकृतिक चिकित्सा को प्रोत्साहन देने के लिए आयुष मंत्रालय की स्थापना कर चुके हैं, जिससे देश में स्वदेशी उपचार पद्धतियों को नई दिशा मिली है।

स्थानीय जड़ी-बूटियों के संरक्षण और रोजगार सृजन की पहल

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार अब क्लस्टर आधारित मॉडल विकसित कर रही है ताकि हर जिले में स्थानीय पौधों और औषधीय संसाधनों के अनुसार प्रशिक्षण और उत्पादन को बढ़ावा दिया जा सके। हमारा लक्ष्य यह है कि वैद्य न केवल जनसेवा करें, बल्कि औषधीय पौधों की खेती और प्रसंस्करण से आर्थिक रूप से सशक्त भी बनें।

मंत्री रामविचार नेताम ने वैद्यों की तुलना सुषेन से की

कार्यक्रम में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री रामविचार नेताम ने कहा कि वैद्य समाज में अत्यंत सम्माननीय स्थान रखते हैं। उन्होंने पद्मश्री हेमचंद मांझी की तुलना रामायण कालीन सुषेन वैद्य से की तथा जिस प्रकार सुषेन वैद्य ने लक्ष्मण जी को पुनर्जीवित किया, उसी प्रकार मांझी जी आज दुर्लभ से दुर्लभ रोगों का उपचार कर रहे हैं। पारंपरिक वैद्य न केवल मानव स्वास्थ्य, बल्कि पशु स्वास्थ्य की देखभाल में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

औषधि पादप बोर्ड की नई पहल – नवरत्न योजना

छत्तीसगढ़ आदिवासी स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधि पादप बोर्ड के अध्यक्ष विकास मरकाम ने बताया कि राज्य में 1300 वैद्यों का पंजीयन इस सम्मेलन में हुआ है। बोर्ड “नवरत्न योजना” के तहत प्रदेशभर में हर्रा, बहेड़ा, आंवला, मुनगा, तुलसी, गिलोय, अदरक, नीम और अश्वगंधा जैसे पौधों का रोपण कर रहा है।

वैद्यों के अनुभव – प्रकृति में हर रोग का उपचार

पद्मश्री हेमचंद मांझी ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा की वैद्य किसी भी रोग को जड़ से खत्म करने की क्षमता रखते हैं, बशर्ते औषधियों का सही संयोजन और धैर्य हो। पारंपरिक चिकित्सा में कई प्रकार के कैंसर तक का उपचार संभव है

दूरस्थ क्षेत्रों में वैद्य ही जनस्वास्थ्य के प्रहरी

प्रधान मुख्य वन संरक्षक व्ही. श्रीनिवास राव ने कहा कि जिन इलाकों में आधुनिक चिकित्सा सेवाएँ नहीं पहुँच पातीं, वहाँ पारंपरिक वैद्य अपने पूर्वजों के ज्ञान से लोगों की सेवा कर रहे हैं। इन वैद्यों को सशक्त बनाना और संरक्षण देना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।

सम्मेलन में वैद्यों ने ली सत्यनिष्ठा की शपथ

मुख्यमंत्री की उपस्थिति में सभी वैद्यों ने कर्तव्य, गोपनीयता और सत्यनिष्ठा की शपथ ली। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने 25 वैद्यों को कच्ची औषधीय पिसाई मशीनें प्रदान कीं गयी। साथ ही, छत्तीसगढ़ राज्य जैव विविधता बोर्ड द्वारा प्रकाशित डॉ. देवयानी शर्मा की पुस्तक का विमोचन किया गया, जिसमें दुर्ग वन क्षेत्र के परंपरागत उपचार पद्धतियों का विस्तृत संकलन है। कार्यक्रम को बोर्ड के सीईओ जे.ए.सी.एस. राव, जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष राकेश चतुर्वेदी, और आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रदीप कुमार पात्रा ने भी संबोधित किया।

इन्हें भी पढ़े

You cannot copy content of this page