हरिद्वार निर्मित पैरासिटामोल पर उठा सवाल, दवा गुणवत्ता जांच में फेल – प्रशासन सतर्क, 11 दुकानों से लिए गए नए सैंपल

Healthbhaskar.com: रायपुर, 18 सितम्बर 2025 रायपुर ,दवाइयों की गुणवत्ता को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार सख्त हो गई है। हाल ही में हरिद्वार की एक नामी फार्मा कंपनी द्वारा निर्मित पैरासिटामोल टैबलेट्स राज्य की औषधि गुणवत्ता जांच प्रयोगशाला में फेल पाई गईं। यह मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग और औषधि प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए राजधानी रायपुर सहित कई जिलों में मेडिकल स्टोर्स की गहन जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों ने संदिग्ध दवाओं के नमूने इकट्ठा कर प्रयोगशाला भेज दिए हैं, ताकि उनकी वास्तविक गुणवत्ता का पता लगाया जा सके। यह घटना स्वास्थ्य सुरक्षा से सीधे जुड़ी हुई है और आम नागरिकों में दहशत का कारण बन गई है। पैरासिटामोल का इस्तेमाल बुखार, सिरदर्द और दर्दनिवारक के रूप में सबसे ज्यादा किया जाता है। ऐसे में इसकी गुणवत्ता पर सवाल उठना गंभीर चिंता का विषय है।
संदिग्ध दवा की पहचान और कार्रवाई
औषधि निरीक्षकों की टीम ने राजधानी के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित मेडिकल स्टोर्स का निरीक्षण किया गया । इस दौरान 11 मेडिकल स्टोर्स से दवाओं के नए सैंपल लिए गए। इनमें से ज्यादातर सैंपल उन्हीं कंपनियों की दवाइयों से संबंधित हैं, जिन पर पहले भी सवाल उठ चुके थे। औषधि प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि जब तक प्रयोगशाला की नई रिपोर्ट नहीं आती, तब तक इन सैंपल्स पर नजर रखी जाएगी। अगर रिपोर्ट में फिर से गुणवत्ता संबंधी खामियां सामने आती हैं, तो दोषी कंपनियों और मेडिकल दुकानों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
कैसे हुआ खुलासा?
जानकारी के अनुसार, नियमित जांच प्रक्रिया के दौरान जब पैरासिटामोल टैबलेट्स का सैंपल राज्य दवा गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशाला भेजा गया, तो उसमें निर्धारित मानकों से गंभीर विचलन पाया गया। टैबलेट्स में मुख्य रासायनिक तत्व की मात्रा मानक से बेहद कम थी, जिससे यह निष्कर्ष निकाला गया कि यह दवा मरीजों के लिए प्रभावी नहीं है। यही नहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि निम्न गुणवत्ता वाली दवाएं शरीर पर विपरीत असर भी डाल सकती हैं। इस पूरे प्रकरण के बाद आम नागरिकों में आक्रोश और चिंता दोनों देखने को मिल रहे हैं। मरीजों और उनके परिजनों का कहना है कि अगर रोज़मर्रा में इस्तेमाल होने वाली सामान्य दवाएं भी असली और नकली या गुणवत्ता-रहित निकलने लगेंगी, तो आम आदमी का स्वास्थ्य किस पर छोड़ा जाएगा स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भी नागरिकों से अपील की है कि वे दवा खरीदते समय हमेशा बिल अवश्य लें, बैच नंबर की जांच करें और संदिग्ध गुणवत्ता वाली दवाओं को तुरंत रिपोर्ट करें।
प्रशासन की सख्ती
खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि राज्य में दवाओं की गुणवत्ता से किसी भी प्रकार का समझौता स्वीकार्य नहीं होगा। उन्होंने औषधि निरीक्षकों को निर्देश दिए हैं कि वे दवा विक्रेताओं पर कड़ी नजर रखें और संदिग्ध कंपनियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करें। इसके साथ ही, राजधानी के अलावा जिला स्तर पर भी टीमों को सक्रिय किया गया है। यह अभियान तब तक जारी रहेगा, जब तक सभी संदिग्ध दवाओं की गुणवत्ता प्रमाणित नहीं हो जाती।औषधि प्रशासन विभाग ने साफ किया है कि इस मामले में लापरवाही करने वाली कंपनियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। अगर अगली जांच रिपोर्ट में भी दवा की गुणवत्ता फेल होती है, तो दोषी निर्माता कंपनी के खिलाफ FIR दर्ज कर न्यायिक कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, दोषी मेडिकल दुकानों के लाइसेंस निलंबित करने की भी तैयारी है।
विशेषज्ञ चिकित्सकों का मानना है कि इस घटना से एक बार फिर फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री की निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़े हुए हैं। देश में दवा कंपनियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन उनमें से कुछ कंपनियां गुणवत्ता नियंत्रण मानकों का पालन नहीं करतीं। यही वजह है कि दवाओं की शुद्धता और प्रभावशीलता को लेकर मरीजों का विश्वास डगमगाने लगा है। उन्होंने सुझाव दिया है कि दवा उत्पादन और वितरण से जुड़े सभी चरणों पर सख्त नियम लागू किए जाएं और दोषी पाए जाने वाली कंपनियों के लाइसेंस रद्द किए जाएं।
हरिद्वार निर्मित पैरासिटामोल टैबलेट्स का यह मामला केवल एक दवा तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे दवा बाजार पर नजर रखने की आवश्यकता को रेखांकित करता है। स्वास्थ्य से खिलवाड़ किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं हो सकता। प्रशासन ने भले ही तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी हो, लेकिन इस घटना ने दवा कंपनियों पर निगरानी के मौजूदा ढांचे की कमजोरी को उजागर कर दिया है। जरूरी है कि नागरिक भी जागरूक रहें और संदिग्ध दवाओं की जानकारी संबंधित विभाग तक पहुँचाएं, ताकि ऐसे मामलों पर समय रहते रोक लगाई जा सके।