छत्तीसगढ़ डॉक्टर्स फेडरेशन की मांग: बोंडेड डॉक्टर्स के लिए 25/50 लाख रुपये जमानत अनिवार्यता तत्काल हटाए सरकार

Healthbhaskar.com: रायपुर, 3 सितम्बर 2025 राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती देने और डॉक्टरों को बेहतर अवसर उपलब्ध कराने की दिशा में काम करने वाले छत्तीसगढ़ डॉक्टर्स फेडरेशन (CGDF) ने सरकार के समक्ष एक अहम मांग रखी है। फेडरेशन ने कहा है कि बोंडेड डॉक्टर्स के लिए उच्च शिक्षा (Post Graduate एवं Super Speciality कोर्स) हेतु No Objection Certificate (NOC) जारी करने में अनिवार्य की गई 25 से 50 लाख रुपये की बैंक गारंटी या संपत्ति गिरवी रखने की शर्त को तत्काल समाप्त किया जाए।
डॉक्टरों के भविष्य पर संकट
CGDF का कहना है कि यह नियम उन युवा डॉक्टरों के लिए बड़ी बाधा बन गया है, जिन्होंने अपनी स्नातक शिक्षा पूरी करने के बाद उच्च शिक्षा का सपना देखा है। अधिकांश डॉक्टर आर्थिक रूप से इतनी बड़ी राशि की व्यवस्था करने में सक्षम नहीं हैं। ऐसे में यह शर्त उनके करियर विकास को रोक रही है और डॉक्टरों को बेहतर अवसरों से वंचित कर रही है।
डॉ. हीरा सिंह लोधी, अध्यक्ष छत्तीसगढ़ डॉक्टर्स फेडरेशन का कहना है कि बोंड नीति का उद्देश्य डॉक्टरों से राज्य की सेवा लेना है, लेकिन शिक्षा के अवसरों को बाधित करना कभी भी इस नीति का मकसद नहीं हो सकता है, और यदि डॉक्टरों को उच्च शिक्षा के अवसरों से वंचित किया गया तो इसका सीधा असर राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर पड़ेगा। उच्च शिक्षा से वंचित रह जाने वाले डॉक्टर नवीनतम चिकित्सा तकनीकों और उपचार पद्धतियों से दूर रह जाएंगे, जिससे आम मरीजों को अत्याधुनिक इलाज नहीं मिल पाएगा।
डॉ. हीरा सिंह लोधी ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य में सुपर स्पेशलिटी डॉक्टरों की कमी पहले से ही है। यदि डॉक्टरों को आगे पढ़ने का मौका ही नहीं मिलेगा, तो आने वाले वर्षों में यह संकट और गहरा होगा। फेडरेशन ने सरकार को सुझाव दिया है कि 25/50 लाख रुपये की जमानत की बजाय कानूनी शपथ पत्र (Affidavit) को स्वीकार किया जाए। इससे डॉक्टरों पर आर्थिक बोझ भी नहीं पड़ेगा और सरकार को यह आश्वासन भी मिलेगा कि डॉक्टर बोंड की शर्तों का पालन करेंगे। फेडरेशन ने कहा कि कई अन्य राज्यों में ऐसी व्यवस्था पहले से ही लागू है, जहाँ डॉक्टरों से सिर्फ एफिडेविट लिया जाता है और उनसे सेवा सुनिश्चित की जाती है। छत्तीसगढ़ को भी इस दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए।
सरकार को सौंपा ज्ञापन
छत्तीसगढ़ डॉक्टर्स फेडरेशन ने इस विषय पर राज्य के मुख्य सचिव और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में फेडरेशन ने स्पष्ट लिखा है कि वर्तमान नियम डॉक्टरों के लिए अव्यवहारिक और कठोर है, जिसे तुरंत प्रभाव से हटाने की जरूरत है।
पोस्टकार्ड अभियान की शुरुआत
अपनी मांग को मजबूत बनाने के लिए फेडरेशन ने पोस्टकार्ड अभियान भी शुरू किया है। इसके तहत राज्यभर के डॉक्टर सरकार को पोस्टकार्ड लिखकर अपनी मांग दर्ज करा रहे हैं। फेडरेशन का कहना है कि यह अभियान तब तक चलेगा, जब तक सरकार इस नियम को वापस नहीं लेती।
CGDF से जुड़े डॉक्टरों का कहना है कि वे सरकार के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि सिर्फ न्यायसंगत नीति की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि डॉक्टर भी राज्य की सेवा करना चाहते हैं, लेकिन शिक्षा और करियर विकास की राह में आर्थिक रुकावटें डालना गलत है।
छत्तीसगढ़ डॉक्टर्स फेडरेशन की भूमिका
छत्तीसगढ़ डॉक्टर्स फेडरेशन (CGDF) राज्य में डॉक्टरों के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाली प्रमुख संस्था है। यह संगठन डॉक्टरों की कार्य स्थितियों, शिक्षा, और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता सुधारने के लिए लगातार सक्रिय रहता है। फेडरेशन ने पहले भी कई बार डॉक्टरों की समस्याओं को उठाकर सरकार को समाधान की ओर प्रेरित किया है। इस बार भी संगठन ने साफ संदेश दिया है कि डॉक्टरों की मांग जायज है और सरकार को सकारात्मक कदम उठाना चाहिए।
व्यापक असर
यह मुद्दा केवल डॉक्टरों तक सीमित नहीं है। इसका असर पूरे स्वास्थ्य तंत्र पर पड़ेगा। यदि डॉक्टर उच्च शिक्षा से वंचित रहेंगे, तो भविष्य में मरीजों को सुपर स्पेशलिटी सेवाएँ नहीं मिल पाएंगी। वहीं, यदि यह नियम हटा लिया जाता है, तो राज्य के मेडिकल सेक्टर को नए विशेषज्ञ डॉक्टर मिलेंगे और स्वास्थ्य सेवाओं का स्तर ऊँचा होगा। फेडरेशन का कहना है कि यह केवल आर्थिक शर्त नहीं, बल्कि पूरे राज्य के स्वास्थ्य तंत्र से जुड़ा हुआ मुद्दा है।