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जन्म से दृष्टिहीन बालिका अब देखेगी किसी और की आँखों से दुनिया

Healthbhaskar.com: रायपुर,16 अगस्त 2025 डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय, रायपुर के नेत्र रोग विभाग सह क्षेत्रीय नेत्र संस्थान ने चिकित्सा जगत में एक और अभूतपूर्व सफलता दर्ज की है। विभाग की कुशल टीम ने एक के बाद एक चार जटिल कॉर्निया प्रत्यारोपण (केराटोप्लास्टी) की शल्य क्रियाएं सफलतापूर्वक संपन्न की हैं। इनमें सबसे छोटी मरीज मात्र 6 वर्ष की बालिका है, जो जन्म से ही कॉर्नियल ओपेसिटी के कारण पूरी तरह दृष्टिहीन थी। इस प्रत्यारोपण के बाद पहली बार उसे उजाले और रंगों की झलक मिल पाई है।

कॉर्निया प्रत्यारोपण की ये सभी शल्य क्रियाएं वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. निधि पांडे के मार्गदर्शन में डॉ. रेशु मल्होत्रा, डॉ. स्मृति गुप्ता (कॉर्निया विशेषज्ञ) और डॉ. अंजू भास्कर ने मिलकर कीं। शल्य क्रियाओं के बाद चारों मरीजों की स्थिति संतोषजनक है और दृष्टि में सुधार देखा जा रहा है। डॉ. स्मृति गुप्ता ने बताया कि 6 वर्षीय बालिका, जो जन्म से ही अंधेरे में जीने को विवश थी, अब धीरे-धीरे रोशनी को पहचानने लगी है। यह एक अत्यंत भावनात्मक क्षण है, जिसने पूरी टीम को नई ऊर्जा और प्रेरणा दी है।

अम्बेडकर अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में कॉर्निया प्रत्यारोपण (केराटोप्लास्टी) की चार जटिल शल्य क्रियाएं सफल  सबसे छोटे मरीज की उम्र केवल 6 वर्ष

यह बालिका अब तक दुनिया को केवल अंधेरे के रूप में महसूस करती थी। खेलते-कूदते अन्य बच्चों को देखकर भी वह केवल उनकी आवाज़ों से ही पहचान पाती थी। लेकिन अब कॉर्निया प्रत्यारोपण के बाद उसके जीवन में नई सुबह का आगाज़ हुआ है। धीरे-धीरे वह आकारों और रोशनी को पहचानने लगी है। इस छोटी-सी जिंदगी में यह परिवर्तन न सिर्फ चिकित्सा का कमाल है, बल्कि उन नेत्रदाताओं का आशीर्वाद भी है, जिन्होंने अपनी मृत्यु के बाद अपनी आंखें दान कर किसी और के जीवन को रोशन कर दिया।

कॉर्निया प्रत्यारोपण केवल एक शल्य क्रिया नहीं, बल्कि जीवन को पुनः परिभाषित करने का अवसर है। नेत्रदान करने वाला व्यक्ति भले ही इस दुनिया में न रहे, लेकिन उसकी आंखें किसी और की दुनिया को रौशन कर जाती हैं। डॉ. स्मृति गुप्ता ने कहा की हर नेत्रदान किसी के जीवन में रोशनी की किरण बन सकता है। यह शल्य क्रियाएं उसी अमूल्य योगदान का परिणाम हैं।

अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने कहा की हमारे नेत्र रोग विभाग द्वारा हासिल की गई यह उपलब्धि न केवल चिकित्सकीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि मानवीय संवेदनाओं का श्रेष्ठ उदाहरण भी है। छह वर्षीय बालिका के जीवन में रोशनी लौटाना हमारे संस्थान के लिए गर्व की बात है। यह हमारे विशेषज्ञ डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ और नेत्रदाताओं के सहयोग से संभव हो पाया है।

अम्बेडकर अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएं

अम्बेडकर अस्पताल के नेत्र रोग विभाग सह क्षेत्रीय नेत्र संस्थान में नवीनतम उपकरण और आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं, जिससे जटिल से जटिल नेत्र शल्यक्रियाएं सफलतापूर्वक की जाती हैं। विभाग में उपलब्ध प्रमुख उपकरणों में शामिल हैं जिसमे ,फंडस इमेजिंग कैमरा,बी स्कैन विद यूबीम ,डबल फ्रीक्वेंसी ग्रीन लेजर विद स्लिट लैम्प आईएलओ ,ऑप्थेल्मिक बायोमेट्री ,आटो रिफ्रैक्टर ,ओसीटी मशीन ,ए स्कैन ,किरैटोमीटर ,फेको मशीन ,विट्रेक्टॉमी मशीन ,इन अत्याधुनिक तकनीकों के सहारे मरीजों को विश्वस्तरीय नेत्र चिकित्सा उपलब्ध कराई जा रही है।

नेत्रदान महादान

इन सफलताओं ने एक बार फिर समाज को यह संदेश दिया है कि नेत्रदान सबसे बड़ा दान है। जीवन के बाद भी किसी की आंखें किसी अन्य की जिंदगी में रोशनी बन सकती हैं। आज लाखों लोग कॉर्नियल बीमारियों और दृष्टिहीनता से पीड़ित हैं। यदि अधिक से अधिक लोग नेत्रदान के लिए आगे आएं, तो ऐसे अनगिनत जीवन बदल सकते हैं।

छह वर्षीय बालिका के परिजन अस्पताल में हुए इस चमत्कारिक बदलाव से भावुक हैं। उनकी आंखों में आंसू थे, लेकिन इस बार यह आंसू दर्द के नहीं बल्कि खुशी और कृतज्ञता के थे। परिजनों ने डॉक्टरों और नेत्रदाताओं को धन्यवाद देते हुए कहा हमारी बच्ची अब रोशनी देख पाएगी, यह हमारे लिए ईश्वर के आशीर्वाद से कम नहीं है।

डॉ. निधि पांडे ने बताया कि विभाग निरंतर कॉर्निया प्रत्यारोपण और अन्य नेत्र शल्य क्रियाओं को और सुलभ बनाने पर कार्य कर रहा है। भविष्य में और अधिक मरीजों को इस तकनीक से लाभान्वित करने का लक्ष्य है। छह वर्षीय बालिका की जिंदगी में रोशनी लौटाना केवल चिकित्सा का चमत्कार नहीं, बल्कि मानवीय संवेदनाओं और समाज की सामूहिक जिम्मेदारी का परिणाम है। नेत्रदान की महत्ता को इस घटना ने और अधिक प्रासंगिक बना दिया है। अम्बेडकर अस्पताल की यह उपलब्धि प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणादायक संदेश है कि आधुनिक चिकित्सा, कुशल चिकित्सक और समाज का सहयोग मिलकर असंभव को संभव बना सकते हैं।

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