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IMA -JDA रायपुर ने बॉन्ड सेवा अवधि सभी बैच पर एक समान रूप से लागू करने की अपील

Healthbhaskar.com: रायपुर, 19 जुलाई 2025,छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए बॉन्ड सेवा अवधि को दो वर्षों से घटाकर एक वर्ष कर देने के फैसले का आईएमए रायपुर, जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन (JDA) और मेडिकल छात्रों ने सामूहिक रूप से स्वागत किया है। यह निर्णय वर्षों से चल रहे संवाद, ज्ञापन और आंदोलनों का प्रतिफल है, जो मेडिकल समुदाय द्वारा निरंतर किया जा रहा था।

हालांकि, JDA और IMA रायपुर ने इस निर्णय को केवल 2025 से प्रवेश लेने वाले छात्रों तक सीमित रखने को भेदभावपूर्ण और अनुचित बताया है और इसे तत्काल प्रभाव से सभी बैच पर समान रूप से लागू करने की मांग की है। आईएमए रायपुर के अध्यक्ष डॉ. कुलदीप सोलंकी ने कहा कि सरकार ने छात्रों की मांग सुनी, जो सराहनीय है, लेकिन यह सुधार अधूरा है यदि इसे सभी बैच पर समान रूप से लागू नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में वर्तमान में बॉन्ड से मुक्त होने के लिए छात्रों को 25 से 50 लाख रुपये तक की भारी राशि जमा करनी पड़ती है, जबकि अन्य राज्यों में यह राशि 5 से 10 लाख के बीच है।

JDA अध्यक्ष डॉ. रेशम सिंह ने कहा की यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जो छात्र पहले ही MBBS की पढ़ाई पूरी कर चुके हैं, उन्हें अब भी पुराने नियमों के अधीन रखा जा रहा है। सरकार को यदि वास्तव में सुधार लाना है तो उसे आधे-अधूरे नहीं, सभी छात्रों के साथ समान और न्यायपूर्ण नीति अपनानी चाहिए।

IMA और JDA की प्रमुख मांगें

  • एक वर्ष का बॉन्ड नियम सभी बैच पर लागू हो – ताकि पूर्व छात्रों को भी समान लाभ मिले और उनका करियर प्रभावित न हो।
  • बॉन्ड से मुक्त होने की राशि 5 से 10 लाख रुपये के बीच तय की जाए – वर्तमान राशि अव्यवहारिक और अन्य राज्यों से असंगत है।
  • बॉन्ड सेवा के दौरान वेतन वृद्धि की जाए – वर्तमान ₹45,000 वेतन, नियमित डॉक्टरों के ₹1 लाख मासिक वेतन की तुलना में अन्यायपूर्ण है।
  • 2017 से रुकी नियमित भर्ती तत्काल शुरू की जाए – इससे रिक्त पद भरकर राज्य की स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत होंगी।

डॉ. सोलंकी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में वर्षों से नियमित डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं हुई है, जिससे न केवल अस्पतालों पर भार बढ़ा है, बल्कि बॉन्ड पर कार्यरत डॉक्टरों का शोषण भी हुआ है। IMA व JDA ने राज्य सरकार से अपील की है कि वह चिकित्सा शिक्षा सुधारों को सभी छात्रों के लिए समान रूप से लागू करें और डॉक्टरों की स्थिति को लेकर गंभीरता दिखाए। यदि सरकार वास्तव में छात्रहित और स्वास्थ्य व्यवस्था की मजबूती के प्रति प्रतिबद्ध है, तो उसे समावेशी और न्यायसंगत निर्णय लेना चाहिए।

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