लेजर तकनीक से हुआ बवासीर और भगंदर का सफल उपचार, मेडिकल कॉलेज के जनरल सर्जरी विभाग में लाइव वर्कशॉप संपन्न

Healthbhaskar.com: रायपुर, 12 जुलाई 2025 , पं. नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय एवं डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय, रायपुर के जनरल सर्जरी विभाग में शनिवार को “लेजर इन बिनाइन प्रोक्टोलॉजी” (गुदा संबंधी सौम्य रोगों में लेजर तकनीक) विषय पर एक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक लाइव कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला के माध्यम से आधुनिक चिकित्सा तकनीकों को व्यावहारिक रूप में प्रस्तुत करते हुए मरीजों को राहत पहुंचाने का उद्देश्य सफलतापूर्वक साकार किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता जनरल सर्जरी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. मंजू सिंह ने की। विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. संतोष सोनकर ने इस आयोजन को संस्थान के लिए “एक मील का पत्थर” बताया। इस अवसर पर वरिष्ठ सर्जनों में डॉ. संदीप चंद्राकर, डॉ. अमित अग्रवाल, डॉ. नरेंद्र नरसिंह, डॉ. एस. एल. निराला, डॉ. राजेन्द्र रात्रे, डॉ. सरिता दास, डॉ. मनीष साहू, डॉ. सौमित्र दुबे, डॉ. अंजली जलान और डॉ. प्रेक्षा जैन भी मौजूद रहे। इनकी उपस्थिति और चिकित्सकीय अनुभवों ने कार्यशाला को और भी समृद्ध और प्रभावशाली बना दिया।
लेजर इन बिनाइन प्रोक्टोलॉजी विषय पर आयोजित हुई शैक्षणिक कार्यशाला
कार्यशाला में डॉ. संतोष सोनकर ने बताया कि लेजर तकनीक पारंपरिक शल्य चिकित्सा की तुलना में कम दर्ददायक है, इसमें रक्तस्राव न्यूनतम होता है और रोगी शीघ्र स्वस्थ होकर सामान्य जीवन में लौट सकते हैं। इस दौरान बवासीर (Piles), भगंदर (Fistula), और गुदा विदर (Fissure) जैसी बिनाइन प्रोक्टोलॉजिकल बीमारियों का लेजर तकनीक से सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया। साथ ही, लेजर तकनीक की उपयोगिता और प्रभावशीलता पर विस्तार से चर्चा की गई।
कार्यशाला ने यह स्पष्ट किया कि जनरल सर्जरी विभाग सिर्फ शल्य चिकित्सा का केंद्र नहीं है, बल्कि यह संवेदनशील, नवाचार आधारित और समर्पित चिकित्सा सेवा का उत्कृष्ट उदाहरण बन चुका है। यह आयोजन न केवल चिकित्सकों के लिए ज्ञानवर्धन का माध्यम बना, बल्कि मेडिकल छात्रों और प्रशिक्षु डॉक्टरों के लिए भी एक प्रेरक अनुभव रहा। आधुनिक तकनीक सीखने की जिज्ञासा और सेवा भाव उनके चेहरों पर स्पष्ट झलकता दिखाई दिया। कार्यशाला के अंत में विभाग की ओर से यह संकल्प लिया गया कि भविष्य में भी इस प्रकार के आयोजन नियमित रूप से किए जाएंगे, जिससे चिकित्सा सेवाओं को और अधिक उन्नत, सुलभ और मरीज केंद्रित बनाया जा सके।